तुम्हीं से ज्ञान का दीपक जला है
तुम्हीं से घनघोर अंधेरा मिटा है
तुम जो नहीं गुरुजी कुछ भी नहीं है
हमें रास्तोओं की जरूरत नहीं है
हमें तेरे पैरों के निशान मिल गए हैं -2
तुम ही हो शिव और ब्रह्मा का संगम
सब कुछ तुम्हारा सब तुमको अर्पण
अब तेरा मैं हूँ , मुझमें ही तू है
हमें रास्तोओं की जरूरत ••• 2
छाये जो दिल पे गम का अंधेरा
तन्हाईओं ने जो मन को घेरा
खिलता सबेरा लेकर तू रूबरू है
हमें रास्तों की •••2
कलियों मैं तू है फूलों मैं तू है
सागर की एक एक लहर मैं भी तू है
कहीं भी मैं जाऊं बस तू ही तू है
हमें रास्तों की •••2
जन जन की सेवा यही मेरी पूजा
तुम ही तुम ही कोई न दूजा
तुमसे है सब कुछ रोशन कण कण में तू है
हमें रास्तों •••2
No comments:
Post a Comment