Saturday, April 15, 2017

कभी राम बनके कभी श्याम बनके


कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना....

तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना, राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना.. गौरा साथ लेके , डमरू हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना, लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना रिद्धि साथ लेके, सिद्धि साथ लेके , चले आना प्रभुजी चले आना....

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना...

श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् .
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १..

कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् .
पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. २..

भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् .
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. ३..

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् .
आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. ४..

इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् .
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५..

 

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करे ..

नैया तेरी राम हवाले, लहर लहर हरि आप सम्हाले,
हरि आप ही उठायें तेरा भार, उदासी मन काहे को करे ..

काबू में मंझधार उसी के, हाथों में पतवार उसी के,
तेरी हार भी नहीं है तेरी हार, उदासी मन काहे को करे ..

सहज किनारा मिल जायेगा, परम सहारा मिल जायेगा,
डोरी सौंप के तो देख एक बार, उदासी मन काहे को करे ..

तू निर्दोष तुझे क्या डर है, पग पग पर साथी ईश्वर है,
सच्ची भावना से कर ले पुकार, उदासी मन काहे को करे ..

मैली चादर ओढ़ के कैसे

मैली चादर ओढ़ के कैसे, द्वार तुम्हारे आऊँ ।
हे पावन परमेश्वर मेरे, मन ही मन शरमाऊं ॥

तूने मुझको जग में भेजा, निर्मल देकर काया ।
आकर के संसार में मैंने, इसको दाग लगाया ।
जनम जनम की मैली चादर, कैसे दाग छुड़ाऊं ॥

निर्मल वाणी पाकर मैने, नाम न तेरा गाया ।
नयन मूंद कर हे परमेश्वर, कभी न तुझको ध्याया ।
मन वीणा की तारें टूटीं, अब क्या गीत सुनाऊं ॥

इन पैरों से चल कर तेरे मन्दिर कभी न आया ।
जहां जहां हो पूजा तेरी, कभी न शीश झुकाया ।
हे हरि हर, मैं हार के आया, अब क्या हार चढ़ाऊं ॥

मैं हूँ मंजिल मैं हूँ सफर भी

Main Hoon Manzil, Main Hoon Safar Bhi
Main Hi Musafir Hoon (2)

Main Hoon Drishti, Main Hoon Srishti
Main Darshak Janoo (2)

Main Hoon Radha Main Hoon Yashodha
Main Hi Krishna Kanhaya

Main Hoon Bhakt Main Hoon Bhagvan
Mujhme Hi Saraa
Main Hoon Manzil.......

Mandir Main Hoon, Moorat Bhi Hoon
Main Hoon Swayam Pujari

Roop Bhi Hoon Aroop Bhi Hoon
Kaal Ka Mein Adhikari (2)
Main Hoon Manzil.......

Jag Mein Hoon Jeevan Mein Hoon
Suddha Brahma Avinashi

Tan ki saans Hoon Mann ki Mauj Bhi
Atma Roop Madhoshi
Atma Roop Nirdoshi
Main Hoon Manzil........

हमें रास्तों की जरूरत नहीं है

तुम्हीं से ज्ञान का दीपक जला है
तुम्हीं से घनघोर अंधेरा मिटा है

तुम जो नहीं गुरुजी कुछ भी नहीं है
हमें रास्तोओं की जरूरत नहीं है
हमें तेरे पैरों के निशान मिल गए हैं -2

तुम ही हो शिव और ब्रह्मा का संगम
सब कुछ तुम्हारा सब तुमको अर्पण
अब तेरा मैं हूँ , मुझमें ही तू है
हमें रास्तोओं की जरूरत ••• 2

छाये जो दिल पे गम का अंधेरा
तन्हाईओं ने जो मन को घेरा
खिलता सबेरा लेकर तू रूबरू है
हमें रास्तों की •••2

कलियों मैं तू है फूलों मैं तू है
सागर की एक एक लहर मैं भी तू है
कहीं भी मैं जाऊं बस तू ही तू है
हमें रास्तों की •••2

जन जन की सेवा यही मेरी पूजा
तुम ही तुम ही कोई न दूजा
तुमसे है सब कुछ रोशन कण कण में तू है
हमें रास्तों •••2

मधुबन खुशबू देता है

मधुबन खुशबू देता है, सागर सावन देता है
जीना उसका जीना है, जो औरों को जीवन देता है

सूरज ना बन पाये तो, बन के दीपक जलता चल
फूल मिले या अंगारे, सच की राहों पे चलता चल
प्यार दिलों को देता है, अश्कों को दामन देता है
जीना उसका जीना है, जो औरों को जीवन देता है

चलती है लहरा के पवन, के साँस सभी की चलती रहे
लोगों ने त्याग दिये जीवन, के प्रीत दिलों में पलती रहे
दिल वो दिल है जो औरों को, अपनी धड़कन देता है जीना उसका जीना है, जो औरों को जीवन देता है